वामपंथी विचारधारा (Communist idiology) में सबसे लोकप्रिय और चर्चित विचार हुआ है मार्क्सवाद (Marxism). इसे मार्क्सवाद इसलिए कहा गया क्योंकि मशहूर वामपंथी चिंतक कार्ल मार्क्स (Karl Marx) इसके जनक हैं. इनके बारे में कई रोचक तथ्य हैं.
जैसे एक तो यही कि कई लोग मार्क्स को ही वामपंथी विचारधारा का आविष्कारक मानते हैं. जबकि यह सही नहीं है. हालांकि ये सच है कि मार्क्स ने वामपंथी विचार को एक नई दिशा, नए अर्थ दिए. उन्होंने इस विचार और इससे जुड़े अपने अर्थों के बारे में खूब लिखा, पढ़ा और उसको प्रचारित किया. लेकिन यहीं दूसरी सच्चाई यह भी है कि वामपंथी विचार, कार्ल मार्क्स से भी काफी पहले अस्तित्त्व में आ चुका था. बहरहाल, यहां आज कार्ल मार्क्स के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारियों पर नजर डालना ज्यादा प्रासंगिक होगा क्योंकि 14 मार्च को उनकी पुण्यतिथि होती है. पढ़ते हैं, 5-प्वाइंट (5-Points) में
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उनका बपतिस्मा राजनीतिक अधिक था
साई धर्म में बपतिस्मा (Baptism) की एक रस्म होती है. इसे हिंदू धर्म की गुरुदीक्षा जैसा कुछ समझा जा सकता है. बताते हैं कि कार्ल मार्क्स का बपतिस्मा धर्म के बजाय राजनीति से प्रेरित अधिक था. क्योंकि उनके पिता मूल रूप से यहूदी थे. इस हैसियत तो जब उन्होंने देखा कि नौकरी और कोई भी काम-धंधा करने में यहूदी होने की वजह से उन्हें और उनके परिवार को भारी दिक्कतें हो रही हैं, तो उन्होंने लूथरवाद अपना लिया था. लूथरवाद ईसाइयों की सबसे बड़ी और प्रभावी शाखा प्रोटेस्टेंट का हिस्सा है. यह मार्टिन लूथर (मार्टिन लूथर-किंग नहीं) के विचारों को मानता है. इन्हीं के विचारों की प्रेरणा से प्रोटेस्टेंट (Protestant) सुधार-आंदोलन शुरू हुआ था और परंपरागत कैथोलिक ईसाइयों से अलग शाखा सामने आई थी.
शराब खूब पिया करते थे
मार्क्स अपने विचारों को बेहतर तरीके से लोगों को समझाने के लिए अक्सर बियर के ग्लास को हाथ में लेकर उससे जुड़े उदाहरण दिया करते थे. खास तौर पर उस जमाने के पूंजीवादियों को अपने विचार की तरफ आकर्षित करने के लिए उन्होंने यह तरीका अपनाया था. हालांकि दावा ये भी किया जाता है कि ट्रायर टैवर्न क्लब की सदस्यता लने के बाद मार्क्स खूब शराब पीने लगे थे.
शराब खूब पिया करते थे
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